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Shani and Hanuman |
क्यों चढ़ाया जाता है शनिदेव को तेल? शनि और हनुमान का युद्ध | Hanuman and Shanidev Fight
सूर्य पुत्र शनिदेव (Surya Putra Shanidev)
सूर्य पुत्र शनि देव के बारे में तो सभी जानते है। शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है क्योंकि वो हर व्यक्ति के कर्मों का लेखा जोखा रखते है। अगर इंसान कोई भी गलत कार्य करता है तो शनि देव उसे दंड देते है।
जैसा की आप सब लोग जानते ही होंगे की जब भी किसी भी व्यक्ति पर शनि देव की महादशा चलती हैं तो लोग उसे शनिवार के दिन शनिदेव पर तेल चढ़ाने के लिए कहते हैं। शनिवार के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनि देव पर तेल चढ़ाया जाता है। परन्तु यह बहुत ही कम लोगो को पता होता हैं की शनि देव पर तेल क्यों चढ़ाया जाता है। दोस्तों आज का यह लेख इसी विषय पर होगा की शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है?
हनुमान और शनीदेव की लड़ाई (Hanuman and Shanidev fight )
पौराणिक कथाओं के अनुसार रामायण काल यानि त्रेता युग में शनि देव को अपने बल एवं पराक्रम पर बहुत अभिमान था। एक दिन जब शाम को हनुमान जी अपने इष्टदेव श्री राम के ध्यान में मग्न थे, तब सूर्य पुत्र शनि देव उनके ध्यान को भांग करने के लिए वहाँ आ गए।
शनि देव ने हनुमान जी की बुद्धि और पराक्रम के बारे में काफी प्रशंसा सुनी थी। शनि देव के आगमन के पश्चात भी जब हनुमान जी ने श्री राम जी के ध्यान में मग्न होने की वजह से उनकी और नहीं देखा तो शनि देव ने क्रोधित होकर कहा- 'हे वानर मैं देवताओं मे सर्व शक्तिशाली सूर्यपुत्र शनि हूँ। इस संसार मै ऐसा कोई नहीं जो मेरा सामना कर सकें।' सुना हैं, तुम बहुत बलशाली हो । अगर यह सत्य हैं तो अपनी आँखें खोलो और मेरे साथ युद्ध करो।
यह सुनने के बाद हनुमान जी ने विनम्रतापूर्वक कहा- महाराज इस समय मे अपने प्रभु श्री राम का ध्यान कर रहा हूँ। आप कृपया करके मेरी पूजा मे विघ्न मत डालिये। मैं आपका आदर करता हूँ आप कृपया करके यहाँ से चले जाइए ताकि मैं अपने प्रभु श्री राम की पूजा को सम्पूर्ण कर सकूं।
मजबूरी में हनुमान जी ने किया शनिदेव के साथ युद्ध
श्री हनुमान जी की इतनी विनती करने पर भी शनि देव नहीं माने और हनुमान जी को लड़ने के लिए ललकारने लगे। जब शनि देव हनुमान जी से लड़ने पर उतर आए तो हनुमान जी अपनी पूँछ को बढ़ने लगे और अपनी पूँछ में शनि देव को लपेटना शुरू कर दिया।
फिर हनुमान जी ने शनि देव को अपनी पूँछ मे कसना प्रारंभ कर दिया और शनि देव पूरा जोर लगाने के बाद भी स्वयं को उस बंधन से मुक्त न कर सके। बंधन की वजह से शनि देव को पीड़ा होने लगी और वो पीड़ा की वजह से व्याकुल हो उठे।
फिर हनुमान जी ने शनि देव के घमंड को तोड़ने के लिए अपनी पूँछ को, जिसमें शनि देव फसें हुए थे, पत्थरों पर पटकना शुरू कर दिया। इसकी वजह से शनि देव का शरीर लहूलुहान हो गया, उन्हें बहुत चोट लगी और उनके शरीर पर कई जगह घाव भी हो गए थे। जिससे उनकी पीड़ा और अधिक बढ़ गई।
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Shanidev |
जब शनि देवे पीड़ा को सहन नहीं कर पा रहे थे तो उन्होंने हनुमान जी से प्रार्थना की कि वह उन्हें इस बंधन से मुक्त कर दें। शनि देव ने कहा की मुझे अपनी भूल का अहसास है और मैं अपने अपराधों की सजा पा चूका हूँ, मैं आपके या श्री राम के किसी भी कार्य में विघ्न नहीं डालूंगा।
शनि देव की प्रार्थना को सुनकर हनुमान जी ने कहा की मैं तुम्हे तभी छोडूंगा जब तुम मुझे वचन दोगे की श्री राम के भक्तों को कभी भी परेशान नहीं करोगे। यदि तुमने ऐसा कभी भी किया तो मैं तुम्हे कठोर दंड दूंगा।
शनि देव ने कहा की मैं कभी भी आपके और श्री राम के भक्तों को परेशान नहीं करूँगा और उन्हें मेरा विशेष आशीष प्राप्त होगा। अब आप मुझे छोड़ दीजिए। तब हनुमान जी ने शनि देव को छोड़ दिया।
क्यों चढ़ाते है शनिदेव को सरसों का तेल?
फिर शनि देव ने हनुमान जी से अपने घावों की पीड़ा को कम करने के लिए तेल माँगा। हनुमान जी ने उन्हें सरसों का तेल दिया जिसे लगते ही शनि देव की पीड़ा ख़त्म हो गई। तभी से शनि देव को तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
तेल चढ़ाने से शनि देव की पीड़ा कम हो जाती हैं और वे प्रसन्न हो जाते है और अपने भक्तों की पीड़ा को भी कम कर देते है। यही कारण हैं की भक्त शनि देव को ख़ुश करने के लिए शनिवार के दिन उन्हें तेल चढ़ाते है।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए चढ़ाये सरसों का तेल
यदि किसी व्यक्ति पर शनि की साढ़ेसाती या फिर ढैय्या चल रही हो तो उसे शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करनी चाहिए और शनि देव को सरसों का तेल भी चढ़ाना चाहिए| ऐसा करने से भक्तों को शनि देव का आशीष प्राप्त होता है।
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