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Happy Aja Ekadashi 2020: अजा एकादशी 2020 |
Aja Ekadashi 2020: करें एकादशी व्रत और पाएं भगवान विष्णु मनचाहा वरदान
Aja Ekadashi 2020: दोस्तों आप सभी को एकादशी पर्व की शुभकामनाएं| हिन्दू धर्म के अंतर्गत प्रत्येक माह की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी की तिथि कहा जाता है| एकादशी की तिथि को भगवान विष्णु का पूजा अर्चन करा जाता है| प्रत्येक महीने में दो पक्ष होते है इसी कारण हर महीने में दो एकादशी होती हैं- शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी| इस प्रकार दोस्तों हम पुरे वर्ष में कुल मिला कर के 24 एकादशी के व्रत/उपवास रखते है परंतु साल 2020 में अधिक मास है इसलिए इस वर्ष में कुल 26 एकादशी का व्रत रखा जायेगा|
वर्ष 2020 की अजा एकादशी
दोस्तों 15 अगस्त 2020 की तारीख शनिवार के दिन भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि है इसलिए इसे भाद्रपद मास की एकादशी के नाम से जाना जायेगा| इस एकादशी को अजा अथवा अन्नदा एकादशी भी कहा जाएगा| दोस्तों भाद्रपद मास का नाम ऋषिकेश मास भी है क्योंकि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी में श्री हरी विष्णु के ऋषिकेश रूप का पूजन करा जाता है| दोस्तों भाद्रपद मास में श्री कृष्ण भगवन का जन्म भी हुआ है इसलिए इस एकादशी का महत्त्व और ज्यादा होता है| इस एकादशी में व्रत पूजन आदि करने से आपके पापों का नाश होता है और जीवन में सुख सौभाग्य बढ़ता है| एकादशी का व्रत करने वालो के जीवन में कभी भी घोर संकट नहीं आते है|
कैसे प्रसन्न करें भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी जी को
दोस्तों एकादशी के दिन नौ बाती का दीपक जलना चाहिए| या तो आप एक ही दीपक में नौ बाती लगाकर जला दे या फिर आप अलग-अलग छोटे नौ दीये बनाये और उनमे अलग-अलग बाती लगाके दीपक को जलाए| इससे श्री हरी विष्णु और माँ लक्ष्मी का पूजन एकादशी के दिन पे जिन घरों में करा जाता है उन घरों में सुख सौभाग्य आता है| ऐसा इसलिए होता है क्योंकि दोस्तों नौ बातियाँ नौ ग्रहो की शांति कराती है, नौ ग्रहो को मजबूत कराती है और जीवन में सुख सौभाग्य का आशीर्वाद आपको इनसे प्राप्त होता है|
दोस्तों एकादशी के दिन शाम के समय अपने घर में जो तुलसी माता है उनके आगे देसी घी का दीपक जरूर लगाना चाहिए| ऐसा करने से आपके घर में किसी भी तरह की बुरी परछाई नहीं आती है और घर में सुख सौभाग्य बना रहता है| दोस्तों अपने घर में तुलसी के पौधे का बहुत ज्यादा ध्यान रखना चाहिए क्योंकि अगर तुलसी का पौधा सूख जाता है तो वो आने वाले संकट की ओर संकेत करता है| जिस घर में तुलसी का पौधा हरा भरा होता है उस घर में श्री हरी विष्णु की कृपा स्वतः ही होती है|
एकादशी का व्रत करने से कई जन्मों के पापों का नाश होता है और नए पुण्यों का संचय होता है जिसके कारण आप इस लोक में सुख सौभाग्य को भोगते हैं|
एकादशी के दिन पूजन अर्चन कैसे करना है
जैसा की आप सब जानते है की एकादशी का व्रत तीन दिवसीय व्रत होता है दशमी, एकादशी और द्वादशी की तिथि में इस व्रत का नियम करा जाता है| इसमें दशमी की तिथि में रात्रि के समय भोजन नहीं करा जाता यानी जब सूर्य अस्त होता है और तारों का उदय हो जाता है तो उस समय से भोजन नहीं करते है| एकादशी के दिन आपको सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लेना चाहिए| उसके बाद सूर्यदेव का ध्यान करें, श्री हरी विष्णु भगवान का ध्यान करें और मन ही मन संकल्प ले की आपका एकादशी का व्रत अच्छे से पूर्ण हो जाये|
एकादशी के दिन श्री हारी विष्णु के ऋषिकेश रूप का पूजन करा जाता है| पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करना चाहिए और पुरे घर में गंगाजल से छिटकाव करना चाहिए| इसके बाद एक पटला लगा कर उसके ऊपर केसरिया रंग का वस्त्र बिछाना चाहिए| आप पीले रंग का कपडा भी बिछा सकते है| इसके बाद आपको पटले के ऊपर श्री हरी विष्णु जी की प्रतिमा विराजित करनी चाहिए और भगवान विष्णु को चंदन आदि लगा के भगवान विष्णु के श्रृंगार करना चाहिए| सुद्ध घी का दीपक जलाए| भगवान विष्णु को पीले रंग के पुष्पों की माला चढ़ानी चाहिए और पीले रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए| एकादशी के व्रत में हम जो भोजन विष्णु भगवान को अर्पति करते है उसमे तुलसी दल अवश्य रखना चाहिए|
इसके बाद भगवान विष्णु की कथा का श्रवण करना चाहिए| इसके साथ-साथ एकादशी के दिन पे विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना श्रेष्ठ बताया गया है| ऐसा करने से सभी तरह के सुखों की प्राप्ति होती है| इस तरह से भक्ति भाव के साथ आप इस दिन श्री हरी विष्णु भगवान का पूजन करिये|
शाम के समय विष्णु भगवान के सामने दीपक अवश्य प्रज्वलित करिये| एकादशी के व्रत में अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए| इस दिन एक समय फलाहार करके ही व्रत को रखना चाहिए| फलाहारी को केला, अंगूर, बादाम, इत्यादि का सेवन करना चाहिए|
अगले दिन यानि की द्वादशी के दिन स्नान करके भगवान विष्णु का पूजन करिये और आपको इस दिन ब्राह्मणों भोज जरूर कराना चाहिए| इसके बाद आप व्रत का पारण कर लीजिए| एकादशी के व्रत का पारण करते समय आप एक तुलसी का पत्ता पानी के साथ गृहण करके इस व्रत का पारण कर सकते हैं|
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